बुधवार, 4 मई 2011

मेरी मुहब्बत का फ़साना...

मेरी मुहब्बत का फ़साना...
जख्म जख्म मुस्कुराना..

तेरी कसम तेरा सताना...
मेरा करम वफाएं निभाना....

जिंदगी भर के मसाइल
दे गए ताज़ा तराना...

बन गया है रहनुमां...
उनकी आँखों का उजाला..

ऐ खुदारा अब तो बता दे...
कब तलक है दिल दुखाना...वन्दना...

1 टिप्पणी:

  1. गम मत सुनाओ किसी को ख़ुशी के दो पल ..............दो लोगो मैं अपनी लेखनी से ऊर्जा पैदा करो .......................

    पवन कटारिया

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आपकी प्रतिक्रिया निश्चित रूप से प्रेरणा प्रसाद :)