रविवार, 5 फ़रवरी 2012

स्वप्न...


स्वप्न होंगे सत्य सारे.
 ह्रदय में यह ध्येय निष्ठा...
 जलती ज्वाला का कण-कण,
 दे मन को नव प्राण प्रतिष्ठा...
....वन्दना....

13 टिप्‍पणियां:

  1. .



    डॉ.वंदना सिंह जी


    आपके ब्लॉग पर संभवतः पहली बार आना हुआ है…
    आपकी कई लघु रचनाएं पढ़ कर प्रसन्नता हुई …

    आशावादी स्वरों से परिपूर्ण प्रस्तुत यह रचना भी सराहनीय है …
    हार्दिक बधाई !

    शुभकामनाओं सहित…

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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    1. आपकी सराहना निसंदेह प्रेरणादायी है राजेन्द्र जी आपका अभिनन्दन और बहुत बहुत धन्यवाद......

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  2. आपकी यह लघु रचनाएं गहरे अर्थ संप्रेषित करती हैं .....!

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    1. रचना का सन्देश ग्रहण करने हेतु धन्यवाद !!!!!
      शुक्रिया जो आपने सराहा...

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  3. मन में ठान ले तो स्वप्न पूरे हो ही जाते हैं ...
    बस संकल्प की कमी नहीं होनी चाहिए ... बहुत खूब ..

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  4. मन की प्राण प्रतिष्ठा....जीवन में निष्ठा... शुभ संवाद.... आशीष....अन्ना दी...

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  5. bahut arthmayi yevam aashavaadi rachna hai.... badhai...
    M C Pargaien

    http://anubhootiviewsnews.blogspot.in/

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आपकी प्रतिक्रिया निश्चित रूप से प्रेरणा प्रसाद :)