मंगलवार, 25 दिसंबर 2012

उज्जीवन !

साक्षात उज्जीवन !!!

प्राण प्रकृति चलित...
कथित गत्वर "लौ"
सहसा पुनः प्रज्वलित...

तृष्णा प्रजित
उपजे रोष
एकीभूत
मानवीय ओष 

शून्य न हो चैतन्य
इच्छा शक्ति ,
प्राण शक्ति
धन्य धन्य !!!

अस्तु...

साक्षात उज्जीवन !!!

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